हसीन उद्घाटन

एक दिन अपने आफिस में बैठा मेल चेक कर रहा था तो एक मेल पूनम नाम से था। उसे खोला तो उसमें लिखा था "रोनी जी, मैंने आपकी सारी कहानियाँ पढ़ी हैं और आपकी प्रशंसिका भी हूँ, मुझे आपसे आवश्यक कार्य है, यदि आप न करना चाहें तो मना कर देना पर मेरी बात सुनने के लिए रिप्लाई जरूर देना !"

ऐसे मेल आना कोई नई बात नहीं है, जब रिप्लाई दिया तो कईयों ने सीधा सेक्स करने के लिए आफर दे डाला जो सम्भव नहीं होता फिर भी मैंने रिप्लाई दे दिया, पूछा- क्या काम है मुझसे?

पूनम ने जवाब दिया- रोनी जी, मैं मध्यप्रदेश के एक क़स्बे में रहती हूँ, मेरी उम्र 22 वर्ष है, पिछले वर्ष मैंने बी ए. करने के बाद सिलाई, कढ़ाई, बुनाई का शौक होने के कारण बुटीक का कोर्स एक साल की ट्रेनिंग लेकर दिल्ली से किया है और अपने ही कस्बे में अपना बुटीक खोलना चाहती हूँ, शॉप के लिए जगह भी ले ली है, उसे व्यवस्थित और सुसज्जित करने का काम भी लगभग पूरा हो गया है, उद्घाटन में ज्यादा किसी को नहीं आमंत्रित करेंगे, मैं आपको खास मेहमान के रूप में आमंत्रित करना चाहती हूँ, कृपया आप अपना अमूल्य समय मेरे उद्घाटन में देने की कृपा करें, आपका मेरे ऊपर बहुत बड़ा अहसान होगा !

मैंने स्पष्ट मना कर दिया यह कहकर कि विशेष अतिथि के लिए अपने क़स्बे के गणमान्य व्यक्ति को चुनकर बुला लो, मेरा क्या परिचय दोगी, लोग क्या सोचेंगे? मुझ अनजान को देखकर मुझ पर शक करेंगे, जान न पहचान, मैं तेरा मेहमान ! नहीं बनना चाहता फिर मुझे अपने बहुत से काम भी हैं, मेरे पास समय नहीं है, प्लीज मुझ पर जोर न डालें... अब इस बारे में मुझे कुछ न लिखें, न ही आग्रह करें।मुझे मना करते हुए दुःख हो रहा था कि उसका दिल टूट जायेगा और मेरे हाथ आई एक हुस्नपरी निकल जाएगी, यही सोचता रहा।

अगले दिन फिर उसका मेल आया, पूनम ने लिखा कि अगर आप आओगे तो मैं अपने घर में आपका परिचय दिल्ली के ट्रेनिंग सेंटर के टीचर के रूप में करवा दूँगी तो कोई आप पर शंका नहीं करेगा, आपके सम्मान को कोई आंच नहीं आएगी। रही बात आपके काम की तो आप जब टाइम निकालेंगे, मैं उद्घाटन के लिए तब तक रुक सकती हूँ।

मैंने कहा- बुटीक के बारे मैं कुछ नहीं जानता, किसी ने कोई सवाल पूछ लिया तो मैं तो पकड़ा जाऊँगा।

तो पूनम बोली- मुझ पर विश्वास रखो, मैं संभाल लूँगी।

फिर मैंने उसका मोबाईल नंबर ले लिया तो फोन से हमारी बातें होने लगी। बहुत सी बातें हुई फोन से !

उसके परिवार में माँ-पिताजी, बड़ा भाई प्रवीण और वो कुल चार लोग हैं, पापा रिटायर हो चुके हैं, बड़ा भाई बैंक में सिक्यूरिटी का जॉब करता है। उसने अपना फोटो मेरे को मेल पर भेज दिया था मैंने अपना फोटो उसे भेज दिया ताकि पहचानने में कोई परेशानी न हो।

चार दिन बाद का दिन उद्घाटन के लिए तय हुआ। समय शाम 5 बजे इस पूरी बातचीत में कहीं भी पूनम ने प्यार सेक्स या सम्भोग जैसी किसी प्रकार विषय पर कोई चर्चा नहीं की।

मैं खुद बड़े असमंजस में था। फिर मैंने सोचा कि दोपहर को चला जाऊँगा, रात में वापस आ जाऊँगा।

नियत तिथि प़र तीन बजे उसके कस्बे में पहुँच गया, क़स्बा शहर जैसा ही है, सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, पूनम ने ज्यादा उतावलापन न दिखाते हुए अपने बड़े भाई को मुझे लेने भेज दिया था, इसकी जानकारी उसने मुझे दे दी थी। स्टेशन के बाहर आया तो एक लम्बा बलिष्ठ हैंडसम नौजवान बाइक लिए खड़ा था। एक नजर में मैंने उसे पहचान लिया कि यही प्रवीण होगा उसकी शक्ल पूनम से मिलती जुलती थी।

मैं उसे ही देख रहा था तो वो मुझे पहचान गया, गर्मजोशी से उसने हाथ मिलाया, फिर मैं उसके साथ पूनम की शॉप पर आ गया। वहाँ सजावट का काम और पूजन की तैयारी चल रही थी।प्रवीण ने मुझे कुर्सी पर बिठाकर कहा- मैं पूनम को बुलाता हूँ !

और अन्दर वाले कमरे में चला गया। मेरे दिल की धड़कन अनियंत्रित हो रही थी, लग रहा था कि दिल उछल कर बाहर न आ जाये ! क्योंकि जब प्रवीण इतना सुन्दर और स्मार्ट है तो पूनम न जाने कितनी हसीन होगी !

मैं अपने ऊपर काबू नहीं कर पा रहा था। तभी दरवाजे पर सुर्ख लाल रंग का सलवार सूट पहने हाथ में पानी का गिलास लिए पूनम नजर आई जो पूनम के चाँद की तरह लग रही थी। मेरा तो हार्ट फ़ेल ही होने को था।

आते ही बोली- नमस्ते सर ! रास्ते में कोई तकलीफ तो नहीं हुई?

और पानी का गिलास मुझे थमा दिया।

मैंने कहा- नहीं, कोई तकलीफ़ नहीं हुई !

मैंने पानी पिया जिसमें शराब जैसा आनन्द मिल रहा था, जैसे सामने साकी और पैमाना हो !

तब तक पूनम के मम्मी और पापा भी आ गए। उसने मेरा परिचय कराया- पापा, ये मेरे बुटीक ट्रेनिंग वाले टीचर हैं, मेरे को काफी मार्गदर्शन दिया इन्होने !

वे सभी मुझसे मिलकर खुश हुए, फिर अपने अपने काम में लग गए। पूनम मुझसे बात करना चाह रही थी, उसके चेहरे के भाव बता रहे थे जैसे वो मेरे से कुछ कहना चाह रही हो पर बोल नहीं पा रही हो।

पूनम को भी मैंने कहा- तुम भी अपना काम कर लो !

तभी पंडितजी आ गए, पूजन शुरू हो गया। पूनम पूजा में बैठी थी पर कनखियों से बार बार मुझे देख रही थी। मैं वहीं सबके साथ बैठ गया और पूनम की सुन्दरता की गणना करने लगा।

22 साल की पूनम का कद 5 फीट 6 इंच होगा, छरहरा बदन, चाँद सा चेहरा, घटाओं जैसे खुले काले घने बाल, दूधिया चेहरे पर आँखों में काजल, लबों पर सुर्ख लिपस्टिक, सुराही गर्दन पर लटकती मोतियों की माला भरेपूरे मादक यौवन शिखरों पर बारी बारी से दस्तक दे रही थी। पूनम का दुपट्टा उसकी पतली कमर पर कसा हुआ जिससे उसके सुडौल नितम्ब बड़े ही आकर्षक बनावट के साथ नुमाया हो रहे थे, पूरी अजंता की मूरत नजर आ रही पूनम का फिगर साइज़ 32-26-34 होगा।

मैं तो उसके अंदरूनी अंगों की कल्पना करते करते उत्तेजित सा होने लगा था, काश इसकी चुदाई करने को मिल जाती !

हालांकि यह काम असम्भव नहीं था क्योंकि पूनम अन्तर्वासना पर मेरी कहानियाँ पढ़ चुकी थी। अगर उसने मेरे को बुलाया है तो जरूर कोई तो बात है, शायद उसका मूक-आमंत्रण हो जिसकी उसने चर्चा नहीं की पर उसकी बिना मर्जी के मैं कोई कदम नहीं उठा सकता था।

पूजन के बाद पूनम ने मुझे नारियल थमा दिया, बोली- इसे फ़ोड़कर मेरे बूटीक का उद्घाटन संपन्न कीजिए।

मैंने नारियल फ़ोड़ दिया, उद्घाटन हो गया। मैं गणेश जी की एक मूर्ति अपने साथ लाया था, उसे सौंपकर उज्ज्वल भविष्य की बधाई दी। प्रसाद वितरण, फिर स्वल्पाहार हुआ, लोग आते जाते रहे, उन्हीं में एक शख्स बांका नौजवान भी आया था जिसने पूनम को हाथ मिलाकर नए काम की बधाई दी। पूनम उससे कुछ लजा रही थी।

फिर उसके पापा ने मेरा और उसका परिचय कराया। उसका नाम नवल है, इसी शहर में रहता है, दो माह बाद पूनम से उसकी शादी होने वाली है।

थोड़ी देर में नवल भी चला गया। फिर कुछ समय पश्चात मैंने भी वापस जाने की अनुमति पूनम के पापा से मांगी तो वो बोले- अब तो दिल्ली के लिए कोई साधन नहीं है, सुबह सात बजे आपको ट्रेन मिलेगी, अभी आपने खाना भी नहीं खाया ! आप पूनम के पास रुको, हम लोग घर जा रहे हैं, खाना तैयार करवाते हैं, आप पूनम के साथ आठ बजे बुटीख़ बढ़ा कर घर आ जाना, भोजन करके आराम करना, सुबह की ट्रेन से ही जाने देंगे आपको !

इन बातों को सुन पास खड़ी पूनम के चेहरे पर मुस्कान उभर आई। उस समय शाम के साढ़े छह बज चुके थे, इक्का दुक्का लोग ही आ जा रहे थे, फिर वो भी आना बंद हो गए। प्रवीण को रात डयूटी पर आठ बजे जाना था तो वह भी घर चला गया। दुकान में सिर्फ मैं और पूनम रह गए। वो मेरे पास आकर बैठ गई, मैंने उसकी सुन्दरता का गुणगान किया तो वो निहाल ही हो गई, बोली- रोनीजी, मैंने आपकी हर कहानी को कई कई बार पढ़ा है, पहली कहानी 'बाथरूम का दर्पण' अन्तर्वासना पर पढ़ी थी, तभी से आपसे मिलने की तमन्ना दिल में थी, आज आपसे मिल भी ली।

मैंने कहा- सच ही है, इन्सान जो ठान लेता है, करके ही दम लेता है।

"आइये आपको अन्दर के कमरे में वर्कशॉप जहाँ कारीगर काम करेंगे, दिखाती हूँ !" पूनम मुझे अन्दर कमरे में ले गई जहाँ कई प्रकार की सिलाई कढ़ाई बुनाई मशीनें रखी हुई थी।

फिर बोली- आप गुस्सा मत हों तो कुछ कहूँ?

मैंने कहा- कहो !

इतना बोला ही था कि पूनम ने लपककर मेरे गले में अपनी बाहें डालकर बाँहों में कस लिया और दनादन कई चुम्बन मेरे गाल और होंठों पर जड़ दिए।

मैंने इस अप्रत्याशित हमले की कल्पना भी नहीं की थी, इच्छा हो रही थी को इसके पर्वतनुमा स्तनों को मसल डालूँ और वहीं फर्श पर पटक कर चुदाई का लुल्फ़ ले लूँ पर मैंने अपने पर काबू किया, उसके होंठों को चुसते हुए एक चुम्बन करते हुए उसे दूर कर दिया, फिर रुमाल से अपना चेहरा साफ किया, कहा- क्या करती हो पूनम, कोई आ जायेगा !

उसके होंठ कांप रहे थे, आँखों में लाल डोरे साफ दिखाई दे रहे थे, बोली- आप मेरे इतने पास हो तो बची हुई दूरी भी ख़त्म कर दो ! मेरे मेरे करीब आकर मुझमे समां जाओ !

मैंने कहा- अपने आप को संभालो पूनम ! यह पब्लिक प्लेस है, कभी भी कोई भी आ सकता है ! इस बुटीक शॉप को बदनाम करोगी क्या, जो तुम्हारा लक्ष्य था। फिर तुम्हारी शादी होने वाली है, कितनी बदनामी होगी तुम्हारी?

अब वो सामान्य हो गई। फिर आठ बजे शॉप को ताला लगाकर पूनम के घर पहुँच गए। पूनम का घर पास ही था, छोटा किन्तु बड़ा ही सुन्दर घर था, अन्दर दाखिल होते ही पापा जी ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया।

चाय-पानी के बाद मैंने पूछा- प्रवीण दिखाई नहीं दे रहे हैं?

तो वो बोले- प्रवीण नाईट ड्यूटी पर चला गया है, वो घर नहीं आएगा, आप प्रवीण के कमरे में ही सो जाना !

फिर मेरे को प्रवीण के कमरे में पूनम के साथ भेज दिया।

पूनम बोली- लेट्बाथ कमरे में ही है, आप फ्रेश होकर खाना खाने आ जाओ, मैं खाना लगवाती हूँ।

फिर सभी ने एक साथ खाना खाया, पूनम ने मुझे जबरदस्ती कुछ ज्यादा ही खिला दिया। उसके बाद पापा बोले- अब आप आराम करो सुबह जल्दी उठना पड़ेगा !

मैं सबको गुड नाईट कहकर कमरे में चला आया पर नींद तो मुझ से कोसों दूर थी। पूनम की मस्त अल्हड़ जवानी ने मेरे तन बदन में हलचल मचा दी थी परन्तु उसकी शादी की बात मेरे जहन में थी जो मुझे ऐसा करने से रोक रही थी।

अब सब रब की मर्जी पर छोड़ दिया मैंने और सोने का प्रयास करने लगा। रात के दस बज गए थे, तभी दरवाजे पर आहट सुन उस ओर देखा तो पूनम खड़ी थी, नेवी ब्लू रंग की मेक्सी पहनी थी जिसमें सामने की ओर ऊपर से नीचे तक हुक लगे थे गहरे गले वाली मेक्सी उसके दूधिया जिस्म को और सेक्सी बना रही थी, खुले बालों में बिल्कुल अप्सरा लग रही थी वो !

मेरा दिल जोर से धड़क गया, मैं उठकर बैठ गया, वो अन्दर आ गई, मैंने कहा- पूनम, यह क्या कर रही हो? तुम्हारे मम्मी-पापा क्या सोचेंगे, तुम अपने कमरे में चली जाओ।

तो बोली- मुझे नींद नहीं आ रही है, आपसे बाते करूँगी ! बाजू वाला कमरा मेरा है !

उसने मेरे कमरे में एक दूसरे दरवाजे की ओर इशारा करते हुए कहा, फिर उसकी कुण्डी खोल दी, बोली- अब अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लो !

मैं समझ गया कि पूनम बहुत होशियार है, पूरी प्लानिंग बनाकर मुझसे चुदना चाहती है। मुझे क्या एतराज हो सकता है, मैंने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया ही था कि दूसरे दरवाजे से पूनम कमरे में प्रकट हो गई। मैंने पूछा- तुम मुझसे यहाँ बातें करने आई हो, कहीं मम्मी-पापा जग गए तो?

पूनम ने बताया उन दोनों को रात में नीद की गोली लेने के बाद ही नींद आती है, सुबह तकरीबन पांच बजे ही उठते हैं, यदि बीच में उठे तो इस दरवाजे से अपने कमरे में चली जाऊँगी।

कहकर वो मेरे साथ बैठ गई, मेरा हाथ पकड़ कर अपने धड़कते हुए सीने पर रख लिया उसके कड़क चिकने गिरते उठते स्तनों में उसका ह्रदय स्पंदन मुझे अपने हाथों पर महसूस हो रहा था उसके शरीर पर लगे गुलाब के इत्र ने मुझे उसके और करीब कर दिया। उसका एक हाथ मेरी लुंगी के अन्दर जाकर सोये हुए जानवर को जगाने लगा था।

अब आखिरी औपचारिकता और निभानी थी मुझे, मैंने कहा- पूनम, तुम्हारी शादी होने वाली है, अब तुम अपने पति नवल की अमानत हो ! दो माह और इंतजार कर लो, फिर यह जिस्म उसे सौंपना जिसकी यह अमानत है।

पूनम बोली- उसकी अमानत हूँ और वो अपनी अमानत को पहले ही लूट चुका है ! मैंने बहुत रोका, बहुत समझाया था, पर नवल नहीं माना।

अब चौंकने की बारी मेरी थी, मैंने पूछा- वो कैसे?

पूनम बोली- आज से पाँच माह पहले हमारी शादी तय हो गई थी, तब मैं दिल्ली में ही थी, एक दिन नवल ने फोन पर बताया वो दिल्ली घूमने आ रहा है। मैंने एक दिन की छुट्टी ले ली, दिन भर नवल के साथ घूमती रही, शाम को नवल मुझे अपने साथ लोज के कमरे में ले गया यह बोलकर कि तुमसे बहुत सी बातें करनी हैं। मैं इस वादे के साथ कि तुम कोई गड़बड़ नहीं करोगे रुक गई उसके पास ! रात में मेरे लाख मना करने के बाद भी वो नहीं माना। जीने मरने की दुहाई देने लगा, फिर अपनी ही पूनम को लूट लिया। फिर नवल जब चाहे दिल्ली आकर मेरे साथ मनमानी कर लेता। एक माह पहले मेरी ट्रेनिग समाप्त हुई, तब से मैं अपनी शॉप फिर शादी का इंतजार कर रही हूँ, शॉप खुल गई, शादी भी हो जाएगी पर मेरे बदन की धधकती आग जो नवल ने लगाई है अगर मैं तुम्हारे साथ बुझा लूँगी तो उससे मेरे जिस्म में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला ! मैं सोचती थी कि अपना जिस्म मैं सिर्फ अपने पति को शादी के बाद सौंपूगी जिसे मैंने 22 साल से बचाकर रखा था पर नवल को शादी की कोई अहमियत समझ नहीं आई, फिर मैं क्यों अपने आपको प्यासा रखूँ, आपकी कहानियाँ पढ़ कर आपके बारे में सिर्फ सोचती थी लेकिन नवल के कृत्य के बाद मैंने ठान लिया कि आपसे मिलकर रहूँगी, तभी से आपसे मिलने का प्लान बनाती रही !

कहते हुए पूनम ने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे ऊपर सवार हो गई। उसने अपनी मेक्सी के आगे के सारे हुक खोल दिए थे उसके सभी नाजुक अंगों की कोमलता को मैं महसूस कर रहा था मेरे लंड में रक्त संचार बढ़ गया, मुझे भी पूनम में अपना लक्ष्य दिखने लगा जिसका भेदन मुझे करना है।

मैंने उसे अपने बाँहों में कस लिया, अब मेरे मन में कोई दुविधा नहीं थी, सिर्फ यह कि सुरक्षित सम्भोग काल है या नहीं, जानने के लिए मैंने कहा- पूनम, तुम्हारी माहवारी कब हुई थी?

तो बोली- आज 25 दिन हो गए, 2-3 दिन में फिर महीना आने वाला है।

अब मैं निश्चिन्त हो गया, मैंने पूनम की मेक्सी दोनों बाजुओं से निकाल फेंकी, उसके जिस्म पर काली ब्रा पेंटी शेष रह गए। पूनम मेरे से इस तरह चिपकी थी जैसे मुझमें समां जाना चाहती हो। बड़े मुश्किल से उसे अपने से अलग करके बेड से नीचे खड़ी किया, फिर जी भर कर देखता रहा, वो अपनी आँखें हथेली से ढके थी।

मैंने पीछे जाकर ब्रा के हुक खोल दिए ब्रा निकलकर रख दी फिर उसके उभारों को चूमना शुरू किया। पूनम की मादक सिसकारियाँ उसके कंपकंपाते लबों से छुटने लगी, उसकी छोटी छोटी घुंडी कड़क हो चुकी थी। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

चूसते चूमते पेट से नाभि तक, फिर और नीचे पेंटी तक, पेंटी के ऊपर से ही उसकी फूल सी चूत को स्पर्श करके चूम लिया तो पूनम एकदम से किलक उठी, 'उई माँ आ अह !' करने लगी।

फिर मैंने उसकी पेंटी को नीचे सरका कर निकाल दिया। पूनम की गोरी चिकनी चूत शायद आज ही शेव की गई थी, पूरी की पूरी चूत को अपने होंठों में दबा लिया, दोनों हाथो से उसके मांसल उभरे हुए नितंबों को सहलाते हुए मसलने लगा।

पूनम तो मस्त हो गई थी, 'नो प्लीज़ ! ओह्ह रोनी ईईईइ बस्स !' बोले जा रही थी।

पूनम की पतली कमर को सहलाते हुए उसके पुष्ट नितम्बों को चूमने का आनन्द शब्दों में ब्यान नहीं कर पाऊँगा। पूनम का नंगा हाहाकारी हुस्न देखकर मेरे लंड में खलबली मच गई, उसमें कठोरता के साथ कुछ बूंद प्रीकम की बाहर आ गई। फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए, मेरे लंड को देख पूनम लजा सी गई।

फिर उसके हुस्न का दीदार करते हुए नख से शिख तक चूम डाला, उसके मुँह से कम्पित आवाजें 'आह...ओह...' निकलने लगी तो उसे उठाकर बेड पर चित्त लिटा दिया, 69 की स्थिति में आकर चूत का मुआयना किया, उसकी चूत चिकनी गोरी भगोष्ठ के अन्दर तरफ लालिमायुक्त थी।

रस से भरी उसकी चूत को मसलते हुए धीरे धीरे मैंने उसमें अंगुली डाल दी। पूरी चूत पनिया गई थी, अंगुली अन्दर-बाहर चलाते हुए उसके क्लैटोरिस को होंठ से छेड़ने लगा, दूसरे हाथ से उसके मांसल पुष्ट नितम्बों को सहलाने लगा जो मेरे अंगुली चलाने से लयबद्ध तरीके से थिरक रहे थे। पूनम मेरे लंड को पकड़कर आगे पीछे कर रही थी।

पांच मिनट में ही उसकी चूत से पानी निकलना तेज हो गया, वो अपनी गांड बार बार ऊपर उठा कर मजे लेने लगी और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। अचानक पूनम की टांगें अकड़ने लगी, उसने अपनी जांघों को इतने जोर से भींच लिया कि मेरी अंगुली और हाथ वहीं फंसकर रह गया, उसके मुँह से अस्पष्ट सीत्कारें निकल रही थी, उसने चरम को प्राप्त कर लिया था पर संतुष्ट नहीं हुई थी। फिर मैंने पोजीशन बदल ली और पूनम के होंठों को चूमते हुए उसके पतले होंठों को चूसने लगा, मेरे दोनों हाथ अपना कमाल गगनचुम्बी स्तनों को मसलने में दिखा रहे थे। रस के भरे गोले दबाने का वो परम आनन्द भुलाया नहीं जा सकता !

फिर मैं उसके लबों को छोड़कर एक स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, उसकी सीत्कार फिर बढ़ने लगी, न जाने क्या क्या बोले जा रही थी !

मैं अपने हाथ से उसकी योनि को सहलाते हुए मदनमणि रूपी दाने को छेड़ने लगा। उसने फिर से मेरा तन्नाया हुआ लंड थाम लिया, बोली- बस ! अब और न तड़पाओ जानेमन ! डाल दो इस लंड को मेरी चूत में ! और चूत के सारे कसबन्द ढीले कर डालो ! बहुत तरसाया है इसने मेरे को ! कह कर एक बार फिर मेरे लंड को अपने होंठो से चूम लिया।

मैंने उसके पैरों को फैलाया तो योनिमुख की झलक दिखने लगी जिसमें से रस बह रहा था, उसी रस पर अपने लंड के सुपारे को रगड़कर चिकना किया, फिर चूत के मुहाने पर टिका दिया, फिर धीरे धीरे अन्दर दबाने लगा, आधा लंड चूत में चला गया, सिसकारी के साथ पूनम ने अपने होंठ दांतों से जोर से दबा लिए जैसे दर्द को सहन कर रही हो।

अब मैं उसके ऊपर लेटकर उसके स्तनों को कभी उसके होंटो को चूमने लगा, फिर लंड थोड़ा बाहर को लेकर एक झटका जोर से लगा दिया। पूरा का पूरा छह इंच का लंड पूनम की चूत की में था और एक घुटी हुई चीख पूनम के मुख से बाहर निकाल आई। उसके होंठों पर अपने होंठ लगाकर अपनी जीभ पूनम के मुँह में डाल कर जीभ से उसका मुख चोदन करने लगा तो उसे बड़ी राहत महसूस हुई।

फिर उसने अपने चूतड़ उठा कर लंड को पेलने का इशारा कर दिया। अब मैंने धीरे धीरे लंड पेलना शुरू कर दिया।

पूनम सिसक उठी- हाँ डियर, ऐसे ही करते जाओ, बड़ा मजा आ रहा है ! जोर से करो करो हन्न ओ ह्ह्ह...

मैंने गति बढ़ा दी और धक्कापेल करने लगा। हर धक्के में उसके मुँह से कुछ न कुछ आवाज आने लगी। मेरी हर ठाप में लंड बच्चेदानी तक जा रहा था। उसकी चूत गीली होकर बहुत चिकनी हो गई थी। अब तो पूनम अपने चूतड़ उचका उचका कर लंड को ज्यादा से ज्यादा अन्दर लेने की होड़ में लग गई थी।

"ओह्ह राजा, आज तुमने मेरी चूत को असली आनन्द दिया है ! ओह्ह्ह्ह ! वो नवल तो बस टांगें उठाकर सीधे ही पेलने लगता है, चूत भी ठीक से गीली नहीं होने देता ! सेक्स का असली मजा तो तुमसे मिल रहा है ! जोर से पेलो ! हाँ और जोर से ! आह्ह ओह्ह्ह ! जोर से रोनी ! मेरी चूत का कचूमर निकाल दो ओ माय्य्य्य गॉड !" पूनम मेरे बालों को पकड़कर मेरे होंठ पर काट रही थी।

लगभग 10 मिनट की धक्कमपेल के बाद पूनम स्खलित हुई तो इतना चीख पुकार मचाई कि मेरा जोश भी बढ़ गया। उसके तत्काल बाद मेरा भी वीर्य स्खलन होने लगा और पूनम की संकुचन करती योनि में समाने लगा, कई पिचकारियाँ एक के बाद एक छुटने लगी। दोनों को परमानन्द मिल रहा था, काश वक्त यहीं ठहर जाता ! पर न तो वक्त ठहर सकता है, न ही निकलता हुआ वीर्य ठहरता है। हम दोनों ही गुथे हुए कुछ देर एक दूसरे को सहलाते रहे, फिर मेरा लंड पिचक कर बाहर निकलने लगा तो पूनम ने तत्काल अपनी पेंटी को योनिमुख पर लगा लिया और सीधे बाथरूम में घुस गई। वहाँ उसने अपनी चूत को साफ किया, फिर हाथ धोकर मेरे पास आ गई।

मैंने बाथरूम जाकर पेशाब किया और अपने लंड को अच्छी तरह साफ करके धोया और आकर पूनम के पहलू में लेट गया।

दोनों ही नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए थे, एक दूसरे को सहलाकर फिर से तैयार कर रहे थे। मैंने पूनम की चूत में अंगुली से सहला दिया तो उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर ऐसा चूसा कि लंड को खड़ा होते देर नहीं लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने उसकी चिकनी गांड को सहलाते हुए कहा- अब तुम्हें घोड़ी स्टाइल में करूँगा, घोड़ी जैसी बन जाओ !

तो पूनम एकदम से बिदक गई, बोली- नहीं, मैं पीछे गांड में नहीं करवाऊँगी।

तो मैंने कहा- गांड मारने का शौक मुझे भी नहीं है जानेमन ! पर तुम्हारे चूतड़ देखते सहलाते हुए लंड तो पीछे से भी तुम्हारी बुर में ही डालूँगा।

वो झट से घोड़ी बन गई, मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़कर उसकी बुर के मुहाने पर टिकाया, फिर धीरे धीरे अन्दर डाल दिया। बहुत ही ज्यादा कसापन लग रहा था, हर धक्के का घर्षण एक अदभुत आनन्द की अनुभूति हम दोनों को दे रहा था।पूनम तो मस्त होकर झूम रही थी, अपनी गांड को मेरे हर धक्के को झेलने और उसका मुकाबला करने के लिए आगे पीछे करके लंड अपने अन्दर ज्यादा से ज्यादा समाहित करने के लिए पुरजोर झटके लगा रही थी। मेरी हथेली ने पूनम के बेसहारा झूलते स्तनों को थाम रखा था। दस मिनट बाद ही वो झड़ने लगी और चूत को इस तरीके से दबा लिया की लंड वहीं थम गया।

फिर पूनम बोली- अब तुम नीचे आ जाओ !

मैं चित्त लेट गया तो वो मेरे ऊपर आ गई, दोनों तरफ टांगें मोड़ कर इस तरीके से बैठी कि मेरे टावर जैसे खड़े लंड को अपनी मोबाईल जैसी चूत में बैटरी की तरह बड़े आराम से सेट कर लिया। फिर जो उसने मोबाईल को ओन करके डी जे पर जो ठुमके लगाये तो उसे तब याद आया कि यह स्टेज नहीं, मेरा लंड है जब उसकी बुर और मेरे लंड ने एक साथ अपना माल छोड़ा।

पूनम मेरे ऊपर सवार थी, मेरे ऊपर ही ही लेट गई, मेरे को चूमती, मेरे सीने पर अपने स्तनों को रगड़ती रही।

बहुत सी बातें की हमने, यह भी कि अब कभी दोबारा मिलने का प्रयास नहीं करेंगे, मेरे जाने के समय तुम उदास नहीं खुश होकर मेरे को बाय कहना !

फिर रात के तीन बजे तक जागते हुए एक बार और लम्बी चुदाई की फिर बेमन से पूनम को उसके कमरे में सोने के लिए भेज दिया। .

सुबह पूनम के पापा ने छह बजे मुझे जगाया। चाय नाश्ते के बाद मैंने सबको बाय कहा।

पूनम खुश थी।

मैंने स्टेशन जाकर दिल्ली की ट्रेन नहीं अपने शहर को जाने वाली ट्रेन पकड़ी और पूनम की यादें लिए अपने घर आ गया।

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